BAHUVACHAN by KARAMSHI PEER :Best Book i have read in
Gujarati from last so many years ! it has Subject range -Atul Dodiya's classy
cover page ...No tall claims about how many copies sold, which Bapu-Saint
praised it! Its beyond boundaries of regressive Culture Boundaries! A Must
read-"બહુવચન : વિદ્વાન લેખક કરમશી પીરના લેખોનુ અદભૂત સંકલન ,સત્યજીત રેથી માંડીને હેરોલ્ડ પીન્ટર સુધીના કલાકારો -સર્જકો વિષે ની વાતો ,મુલાકાતો વગેરે ,અતુલ ડોડીયાનું આવરણ અને કલાસી છપાઈકામ,મસ્ટ રીડ!--- Sanjay
chhel.
આ બ્લોગ વાચકરાજ્જા માટે છે. સાહિત્ય ને લગતા કોઈ પણ સમાચાર/ભાવ/પ્રતિભાવ નું સ્વાગત છે.यह ब्लॉग पाठकों के लिए है ---साहित्य संबधित किसी भी अभिव्यक्ति का यहां स्वागत और प्रतीक्षा है -- हा ब्लॉग वाचकासाठी असून साहित्य संबधित कुठलिही माहिती आपण निसंकोच व्यक्त करूं...This blog is for readers.... Express yourself to : raajubook@gmail.com
Friday, 4 January 2013
Tuesday, 1 January 2013
नोबेल पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार और आगरा का साहित्य मेला...
११२हावाँ नोबेल
पुरस्कार, ४७वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार और आगरा का साहित्य मेला...
मो यान को साहित्य का नोबेल सम्मान
स्टॉकहोम। चीनी लेखक मो यान
को साल 2012 के लिए साहित्य का
नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार स्टॉकहोम कसंर्ट हॉल में सोमवार को आयोजित कार्यक्रम
के दौरान दिया गया।
नोबेल पुरस्कार जीतने वाले चीनी लेखक मो यान |
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के
अनुसार, पुरस्कार समारोह की
शुरुआत स्वीडन की शाही धुन द किंग्स सांग के साथ हुई। इस मौके पर मो यान ने काले रंग का टेलकोट पहन रखा था। नोबेल
फाउंडेशन बोर्ड के अध्यक्ष मार्क स्टॉर्क ने समारोह में भाग लेने वाले
विजेताओं का अभिनंदन किया।
स्वीडन के किंग कार्ल 16वें ने मो यान को नोबेल
डिप्लोमा, पदक और पुरस्कार राशि भेंट की। इससे
पहले पुरस्कार के ज्यूरी सदस्यों ने साहित्य के क्षेत्र में मो यान की
उपलब्धियों को साझा किया। किंग कार्ल इस साल के भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, चिकित्सा और अर्थशास्त्र के
नोबेल पुरस्कार विजेताओं को भी पुरस्कार प्रदान किए। मालूम हो कि वर्ष 1901 से ही अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि के दिन 10 दिसंबर को ये पुरस्कार दिए
जाते है ।
शांडांग प्रांत स्थित अपने गृह शहर गाओमी सिटी में
पत्रकारों से बातचीत में मो ने कहा कि मैं नोबेल पुरस्कार जीत कर आश्चर्यचकित हूं क्योंकि योग्यता के मामले
में अन्य चीनी लेखकों के सामने मैं ज्यादा वरिष्ठ नहीं हूं। यहां काफी अच्छे लेखक हैं और मैं उतनी उच्च
श्रेणी का नहीं हूं।
###
आगरा में साहित्य
का मेला
आगरा। जयपुर की तर्ज पर आगरा में भी साहित्य का
मेला सजने वाला है। विश्व विख्यात जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल की तरह ताज नगरी में भी कई जाने-माने
साहित्यकारों का जमावडा लगेगा।
यहां कई किताबों का लोकार्पण होगा। रीडिंग सेशन
होंगे। साथ ही लेखकों के साथ संवाद स्थापित करने का भी मौका मिलेगा। एक से तीन फरवरी 2013 तक होने वाले इस फेस्टिवल की थीम युवा जगत को अपनी
सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराना है। इसके लिए फेस्टिवल के केंद्र में सोशल नेटवर्किंग साइट्स,
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट्स, ब्लॉग्स, ई-बुक और समकालीन साहित्य के प्रभावों की चर्चा की जाएगी।
आगरा का 167 साल पुराने सेंट पीटर्स कॉलेज के प्रांगण में कई जाने-माने ब्लॉगर, कवि, लेखक
जमा होंगे। इसके साथ ही फिल्मी दुनिया के कई नामचीन चेहरे भी यहां एकत्रित होंगे।
मिर्जा गालिब रिसर्च अकादमी के निदेशक और फेस्टिवल
की आयोजन समिति के सदस्य सैय्यद जाफरी आगरा की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व महसूस करते हैं। जाफरी का कहना है
कि आगरा गालिब, मीर और नजीर का शहर
है। यह हिन्दी और ब्रज भाषा के कई नामचीन कवियों की कर्मभूमि रहा है। इस सांस्कृतिक विरासत से
नए जमाने की पीढी को
वाकिफ कराना जरूरी। और इसके लिए आवश्यक है कि उस धरोहर को समकालीन वातावरण से जोडा जाए।
वहीं जाफरी ने कहा, जल्द ही होने वाले जयपुर फेस्टिवल के फौरन बाद साहित्यिक निर्वाचिका सभा हिन्दी और ऊर्दू साहित्य
के मौजूदा स्तर पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसके साथ ही फिल्मों के साहित्य के प्रति दृष्टिकोण और पसंद पर पडने वाले
प्रभावों पर भी तवज्जो दी जाएगी।
आयोजन समिति के अध्यक्ष हरविजय बहिया ने बताया कि
ब्रज मंडल की समृद्ध विरासत में गालिब, सूरदास, अमीर खुसरो और कई अन्य लोग के योगदान पर प्रकाश डालना जरूरी है।
डॉक्टर शिवानी चतुर्वेदी ने भी इस साहित्य समारोह
को शहर के लिए जरुरी बताते हुए कहा कि इस आयोजन से युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। इस
साहित्यिक आयोजन के जरिए बौद्धिक सौंदर्य अपनी खुशबू बिखरेगा।
वहीं सेट पीटर्स कॉलेज के प्रधानाचार्य जॉन फेरिया
भी अपने कॉलेज के प्रांगण में होने वाले इस आयोजन को लेकर अत्यंत उत्साहित नजर आते हैं। फेरिया का कहना था
कि यह सब शाही मुगलिया अंदाज में होगा। यहां शाम को संगीत होगा, गाना होगा, चित्रकारी होगी,
रंगमंच होगा।
###
उडिया लेखिका डॉ. प्रतिभा राय को
ज्ञानपीठ पुरस्कार
देश की प्रमुख फिक्शन लेखकों में शामिल वरिष्ठ
उडिया लेखिका डॉ. प्रतिभा राय को
वर्ष 2011 के लिए 47वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
ज्ञानपीठ द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक,
ज्ञानपीठ चयन बोर्ड की बैठक में डॉ. प्रतिभा
राय को वर्ष 2011 के लिए 47वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गई।
उड़िया लेखिका डॉ प्रतिभा राय |
डॉ. प्रतिभा राय का
जन्म 21 जनवरी 1943 को कटक जिले में हुआ था। वह इस वक्त देश की प्रमुख फिक्शन लेखकों में शामिल है और उनके
उपन्यास एवं
कहानियां किस्सागोई की परंपरा से जुडे होते हैं, जिसमें चरित्र और परिस्थितियां जीवंत हो जाती है। डॉ. प्रतिभा राय के अब तक 20 उपन्यास, 24 लघुकथा संग्रह, 10 यात्रा वृतांत,
दो कविता संग्रह और कई निंबंध प्रकाशित हो चुके हैं। इसमें
यग्यनासैनी, शिल पदम, महामोह, उत्तर मार्ग और द्रोपदी शामिल है। उनकी प्रमुख रचनाओं का ना केवल देश की
प्रमुख भाषाओं में और अंग्रेजी सहित दूसरी विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली
लेखिका डॉ. प्रतिभा राय को साहित्य अकादमी पुरस्कार, पदमश्री
और कथा पुरस्कार सहित कई सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।
चयन बोर्ड की अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक एवं विद्वान
डॉ. सीताकांत महापात्र ने की, जिसमें प्रो.
मैनेजर पांडे, डा. के सच्चिदानंदन,
प्रो. गोपीचंद नारंग, केशुभाई
देसाई, दिनेश मिश्रा और रवींद्र कालिया शामिल थे।
Subscribe to:
Posts (Atom)