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Friday, 16 November 2012

हिंदी ब्लॉगिंग : भाषा पर खतरा...?



हिंदी ब्लॉगिंग को लेकर कई धुरंधरों ने चिंता व्यक्त की थी - कि यह भाषा को विकृत कर रहा है, यह शैशव की गंदगी से गुजर रहा है, यहाँ उच्खृंखलता है, आदि आदि । पर हिंदी ब्लॉगिंग ने यह साबित कर दिखाया है कि वह सचमुच आम जन की सार्थक और दृढ अभिव्यक्ति का सबसे मु्क्त और स्वनियंत्रित माध्यम है । भले ही वर्चुअल, किन्तु वहां सामाजिक सरोकार की जो आवाज़ उठ रही हैं वह लेखन और लेखक दोनों को स्वतंत्र बनाती हैं । यह प्रिंट मीडिया के घरानेवाद के विपरीत भी एक अवसर है । यह सामुदायिकता के विकास के लिए भी सबसे कारगर और प्रजातांत्रिक मंच के रूप में भी निरंतर अपनी गति बनाये हुए है । पिछले एक दशक की हिंदी ब्लांगिंग की पड़ताल इस बीच किसी भी तथाकथित जन सरोकार के बडे़ बड़े दावे करनेवाले लेखक संघो ने की हो या लघुपत्रिका के झंडे फहरानेवालों वालों ने देखने में नहीं आया । ऐसे में लखनऊ से 'वटवृक्ष' जैसी लघुपत्रिका की पहल बहुत ही सार्थक साबित हुई है । अगस्त का यह अंक हिंदी ब्लॉगिंग दशक का लगभग समूची तस्वीर हमारे समक्ष रखती है । सैकड़ों बिषयों पर किये गये काम और दिशा का यहाँ सार्थक मूल्यांकन है । प्रतिष्ठित टेक्नोक्रेट रवि रतलामी का आलेख महत्वपू्र्ण है । यह 80 पृष्ठों में समाया अंक विश्व भर में फैले हिंदी के सैकड़ों चर्चित, सक्रिय ब्लॉगरों से तो परिचित कराता है ही, हिंदी की वैश्विक उपस्थिति के लिए नये रास्तों की ओर भी इशारा करता है । लगभग एक लघु शोध जैसी प्रस्तुति के लिए युवा संपादक और ब्लॉग विशेषज्ञ रवीन्द्र प्रभात, जाकिर अली रजनीश सहित पूरी संपादकीय टीम की मेहनत के लिए बधाई

पत्रिका का नाम : वटवृक्ष
इस अंक का मूल्य : 100/-
संपर्क : परिकल्पना, एन-1/107, सेक्टर-एन, संगम होटल के पीछे, अलीगंज, लखनऊ-226024
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2 comments:

  1. MAY WE GET AN E COPY OF THIS MAGAZINE OR THE ADDRESS FROM WHERE WE CAN GET THIS !!! SEEMS VERY INTERESTING.
    RAJUBHAI YOU ARE DOING A GOOD JOB...

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  2. yogesh Bhai, thanks. address for contact is at the end part of post + you can get in touch to this PATRIKA through facebook :)

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